टंडवा में एनटीपीसी के अधीनस्थ सिम्पलैक्स, सिंघानियां व जीडीसीएल कम्पनीयां रात के अंधेरे में करवा रही हैं बालु की तस्करी। - एक संदेश भारत

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सोमवार, अगस्त 08, 2022

टंडवा में एनटीपीसी के अधीनस्थ सिम्पलैक्स, सिंघानियां व जीडीसीएल कम्पनीयां रात के अंधेरे में करवा रही हैं बालु की तस्करी।

नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) नें 10 जून से 15 अक्टूबर 2022 तक पुरे झारखंड के नदीयों से बालु उठाव पर लगाई है रोक, बावजूद टंडवा में रात के अंधेरे में हो रहा है धड़ल्ले से बालू तस्करी।


पुलिस की पीसीआर वैन की पेट्रोलिंग में भी नहीं पकड़े जा रहे हैं तस्करी में शामिल ट्रैक्टर।


आमजन को बालु की जरूरतों के लिए करना पड़ रहा है समान्य दर से अधिक का भुगतान फिर भी नहीं मिल रहा है बालु।


प्रतीकात्मक तस्वीर। 

टंडवा/चतरा (बाल कृष्ण यादव/एक संदेश भारत) :   टंडवा मुख्यालय के समीप लगभग 2500 एकड़ भूमी पर स्थापित देश की बड़ी 1980 मेगावाट की एनटीपीसी की उत्तरी कर्णपुरा विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चरम पर है। जहां निर्माण कार्य में लगे कम्पनीयों द्वारा पूर्व से हीं सरकारी नियम कानून को ठेंगा दिखाकर काम करने की चलन बनी हुई है।


इसी बीच अभी एनटीपीसी के अधिनस्थ सिम्पलैक्स, सिंघानियां व जीडीसीएल कम्पनीयों के द्वारा रात के अंधेरे में प्रतिदिन हजारो टन बालू की अवैध तस्करी करवाई जा रही है। गौरतलब है की भारत सरकार की पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत एजेंसी नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) नें झारखंड में 10 जून से 15 अक्टूबर 2022 तक सभी नदीयों से बालु खनन/उठाव पर रोक लगाई है। जिसको लेकर झारखंड सरकार ने भी आदेश जारी कर सभी जिलों के उपायुक्तों को इस आदेश को लागु करने की बात कही है।


सरकारी आदेश का असर आमलोगों पर जबकी कम्पनीयों को मिली है खुली छुट।


जिसका असर यह हुआ कि दिन में टंडवा के नदी घाटों से बालु का उठाव कम हो गया और आमजन पर सीधा-सीधा असर पड़ा और लोगों को नीजी कार्य के लिए बालू मिलने में परेशानी होने लगा तो वहीं काफी मशक्कत के बाद मिलने पर समान्य दर से अधिक राशी का भुगतान करना पड़ने लगा।


लेकिन इसके ठीक विपरीत उपरोक्त कम्पनीयां इसका हल निकालने में सफल रहीं और पुलिस-प्रशाषण के नाक के नीचे से रात के अंधेरे में बालु की अवैध ढुलाई करवाना शुरू कर प्रतिदिन हाजारों ट्रैक्टर भंडारण करने लगीं।


पुलिस-प्रशाषण सब हैं मैनेज की बात करते हैं तस्करी में शामिल लोग।


दिलचस्प बात तो यह है कि लगभग महीने दिन से चालु इस तस्करी के खेल में कम्पनीयां बीना किसी रोक-टोक के धड़ल्ले से अवैध बालू गिराने में सफल रहीं हैं। जबकी रात में पुलिस की पीसीआर वैन लगातार पेट्रोलिंग करती हैं और एक भी रात में पुलिस ऐसे किसी भी ट्रैक्टर या तस्कर को पकड़ने में असफल रही हैं। जबकी यह पीसीआर वैन  के पुलिस कर्मी बीना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाने वालों को पकड़ने से नहीं चुकती हैं। वही पुलिस इतने बड़े-बड़े ट्रैक्टर को पकड़ने में असफल रही है।  तस्करी में शामिल लोगों का यह कहना की पुलिस-प्रशाषण सब मैनेज है, इसलिए ऐसे सरकारी आदेश सिर्फ कागजों तक हीं ठीक हैं, जमीन में या हकीकत से इनका कोई वास्ता नहीं है।


किसी रूट से होती है तस्करी। 


टंडवा में बने बायपास से टंडवा,गाड़ीलौंग से आने वाले ट्रैक्टर तो वहीं नईपारम,उत्तराठी,व लरंगा नदी घाट से आने वाले ट्रैक्टर पांडेय मोड़ के रास्ते बायपास सड़क से नये ब्लाॅक के रास्ते एनटीपीसी परिषर में प्रवेश करते हैं। तो कुछ वाहन पांडेय मोड़ से मौसम सही होने पर पुराने ब्लाक के रास्ते एनटीपीसी परिषर में अवस्थित सिम्पलैक्स,सिंघानिया व जीडीसीएल के साईडिंग में बालु लेकर पहुंचते हैं।


पत्र लिखकर किया गया है अवैध तस्करी पर रोक लगाने की मांग।


हालांकी इस मामले पर पत्र लिखकर जिला के उपायुक्त से तस्करी में शामिल लोगों पर कारवाई करने और अवैध तस्करी पर रोक लगाने का भी मांग किया गया। अब देखना यह दिलचस्प होगा की पुलिस-प्रशाषण इस मामले पर कुछ कारवाई भी करती है या सिर्फ खानापूर्ति कर अपने जिम्मेवारी व कर्तव्य का निर्वहण कर लेती है।


लिखा गया पत्र। 


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